मेरे प्यारे चुदक्कड भाइयो और चुदासी बहनों ! मै आज आपसे उस वक़्त से वाकये को शेयर करता हूँ जब मुझे यह पता भी नहीं था कि लंड क्या होता है और चूत क्या ........ मै कैसे इतना चुदक्कड हुआ आज यह आप सब को बताता हूँ।
मै लंड और चूत दोनों को ही सुस्सू कहता था और अक्सर सोचता था कि मेरी और लड़कियों की सुस्सू में अंतर क्यूं है , चूचियां के लिए इतना समझ गया था कि इनमे से दूध निकलता है और लेडीज़ बच्चों को चूचियों से ही दूध पिलातीं हैं। लेकिन बाकी लंड और चूत के क्रिया - कलापों से पूरी तरह अनभिज्ञ था। सो जब मुझे कुछ पता ही नहीं था तो मेरा चूत और चूचियों में कोई इंटरेस्ट भी नहीं था क्योंकि चूत घर में नंगी खेलती छोटी बहनों की और चूचियां चाची व अम्मी की दूध पिलाते में रोज़ देखता था। परन्तु एक दिन मुझे लंड और चूत का खेल पता चल गया और फिर तो मै इस खेल का बुरी तरह दीवाना हो गया।
हुआ यूं कि मै अपने सेविन्थ के एग्जाम के बाद अपनी अम्मी के साथ चाचा के यहाँ छुट्टियां मनाने गया। मेरे चाचा के पांच बेटियाँ और तीन बेटे पहली चाची से व तीन बेटियाँ व दो बेटे दूसरी चाची से है। इस तरह से मेरे चाचा के तेरह बच्चे है जिनमे सबसे बड़ा बेटा इमरान है जिसकी शादी हो चुकी है जिसके एक डेढ़ साल की बेटी है तथा सबसे छोटी बुलबुल है जो अभी सिर्फ कुछ महीने की है। इस तरह मेरे चाचा की बेटी अपने भाई की बेटी से भी उमर में छोटी है। कुल मिला कर बड़ी ही मस्त और बिंदास फेमिली है। शाम को जब सब इकठ्ठे होते थे तो ऐसा लगता था कि कोई छोटी मोटी बारात इकठ्ठी हो गयी हो। घर काफी लंबा चौड़ा था पर मेरे चाचा ज्यादातर छोटी चाची के कमरे में ही सोते थे और छोटे बच्चे व उनकी बेटियाँ एक अलग कमरे में सोते थे। मै जब पहुंचा तो मैंने अपनी सोने की जुगाड़ इसी बच्चों वाले कमरे में ही कर ली सिर्फ इसलिए कि इस कमरे में मेरी हम उमर बच्चे भी थे। वाकया दूसरी रात का है , हम सभी बच्चे खेल कूद कर सो गए थे अचानक रात में मुझे बड़ी तेज़ प्यास लगी। मै किचिन की तरफ पानी पीने चल दिया रस्ते में मेरे चाचा का कमरा पड़ता था जिसमे चाची शायद पेशाब करके लौट रहीं थीं तभी अचानक दरवाजे से ही चाचा ने उन्हें अपनी बाँहों में जकड लिया और उन्हें कमरे में खींच लिया इस धींगा मुश्ती में कमरे का दरवाजा खुला ही रह गया। मेरी कुछ भी समझ में नहीं आया सो में धीरे से अपने को छुपाते हुए कमरे में झांक कर माज़रा समझने की कोशिश करने लगा। परन्तु अन्दर का नजारा ही बिलकुल अलग था , अन्दर चाची के कमरे में नाईट बल्ब जल रहा था और चाचा चाची की चूचियों को कसके मसला मसल लगे।
" क्या करते हो जी ! मेरी सारी ब्रा दूध से गीली कर दी , छोड़ो ना प्लीज़ और दरवाजा भी खुला है , कोई आ गया तो" चाची ने चाचा की बाँहों में कसमसाते हुए कहा
" छोड़ने का तो सवाल ही नहीं उठता मेरी जान , आज तो तेरी चूत में अपना लंड ज़रूर पेल के रहूँगा , कितने दिन से साले पीरियड्स के कारण साली बड़ी की चूत से काम चला रहा था पर आज तो तेरी चूत को ढंग से चोदूंगा" चाचा ने चाची की चूचियों को और कस के मसलते हुए कहा
" ठीक है चोद लेना पर दरवाजा तो बंद कर लेने दो " चाची ने अपने को छुडाते हुए कहा
मै झट से ओट में छुप गया और चाची ने दरवाजा बंद कर लिया।
अचानक किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा। मैंने पलट के देखा कि आयशा यानी चाची की मंझली बेटी मेरे पीछे खडी थी। मेरी गांड फट गयी लेकिन जब आयशा ने धीरे से मुझे अपने पास खींच कर कहा ,"क्या देख रहा है चूतिये , कभी देखा नहीं क्या ? "
मैंने सही सही बोला ," नहीं आयशा ! वो बात नहीं , मै ये देख रहा था कि चाचा चाची के दूध इतनी बेरहमी से क्यूँ मसल रहे थे और वोह अपनी सुस्सू को चाची की सुस्सू में डालने की क्या बात कर रहे थे। "
" चल बुद्धू ! तू नहीं जानता क्या ? और ये क्या सुस्सू सुस्सू करता है , इत्ता बड़ा हो गया लंड और चूत भी नहीं सीखा , ये चूत में लंड डालने को ही तो चोदना कहते है , और एक शौहर अपनी बेगम को तो रोज़ चोदता है ,चल मै तुझे सब समझाती हूँ " आयशा ने मुझे कमरे की तरफ खींचते हुए कहा
" लेकिन तुझे ये सारी बाते कैसे पता ?" मैंने उसके साथ साथ चलते हुए कहा
" तू कमरे में चल , मै वहां तुझे सब समझातीं हूँ " आयशा बोली
मै चुपचाप एक अजीब सी सोच में डूबा उसके साथ कमरे में आकर उसी की बगल में लेट गया। उसने मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर पूछा , " अब बता , तू क्या जानना चाहता है "
" सबसे पहले ये बता , तू इतनी सारी बातें कैसे जानती है " मैंने पूछा
" चूतिये ! अभी जो तूने ट्रेलर देखा है ना , मै वह फिल्म कई बार पूरी की पूरी देख चुकी हूँ " आयशा ने मेरा हाथ अपने कुर्ते के ऊपर से ही चूचियों पर रखते हुए आगे कहा , " हर शौहर अपनी बेगम की चूचियों को दबा दबा कर और चूत को चाट चाट कर चुदने के लिए तैयार करता है उसके बाद अपने लंड को चूत के छेद पर टिका कर अन्दर पेल कर खूब देर तक अन्दर बाहर करता है , इसी को चोदना कहते है "
मुझे पता नहीं क्यों पूरे शरीर में झनझनाहट सी महसूस हो रही थी , मुझे आयशा की निम्बू के सायज़ की चुचियों को चाचा की तरह दबाने में बड़ा अच्छा लग रहा था। चुचियों को दबाते दबाते मैंने आयशा से पूछा , " लेकिन चूत में लंड किधर से घुस जाएगा , छेद तो पीछे होता है क्या वही चूत का छेद होता है "
" चल बुद्धू ! वो तो गांड होती है , लडकी के दो छेद होते है , एक पेशाब की जगह के थोड़ा सा नीचे व दूसरा पीछे , आगे वाला छेद लंड पिलवाने के लिए होता है व पीछे वाला लेट्रिन करने के लिए लेकिन कुछ बीबियाँ अपने शौहर से पीछे वाले छेद में भी लंड पिलवातीं है। " आयशा धीमी आवाज़ में एक टीचर की तरह मुझे पढ़ा रही थी। मुझे चुचियों को दबाते हुए इन सब बातों में बहुत मज़ा आ रहा था। तभी आयशा ने मेरे हाथ को अपने कुर्ते व बनियान के अन्दर गुसा दिया। उसकी छोटी छोटी ठोस चुचियों के ऊपर निप्पल की जगह सिर्फ एक छोटा सा मस्सा सा था , अब मुझे समझ में आ गया था कि चाचा चाची की चुचियों को क्यों मसल रहे थे , मै भी अब खूब कस कस के आयशा की चूचियां मसल रहा था।
( माँ बाप को सम्भोग करते वक़्त बच्चों की तरफ से बहुत ही सचेत रहना चाहिए , आजकल के बच्चे पूरी तरह से कम्प्युटराइज्ड पैदा होते है व बहुत ही सेन्सटिव होते है )
" तो क्या तुम्हारे भी दो छेद है " मैंने आयशा से उसकी चूचियां मसलते हुए पूछा
" तू वाकई कुछ नहीं जानता " आयशा मुझसे और चिपकते हुए बोली
" सच्ची आयशा मुझे नहीं पता " मैंने बिना संकोच के अपनी कमी को स्वीकार करते हुए कहा। आयशा ने अपनी सलवार का नाडा खोल कर अपनी चड्डी नीचे खिसका कर मेरा हाथ अपनी चूत पर रख दिया। " ले अब तू सब अच्छी तरह से समझ ले " आयशा मेरे हाथ को अपनी चूत पे रगड़ते हुए बोली। अब तो मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
" लेकिन तेरा आगे वाला छेद कहाँ है "
" अरे बुद्धू ! ढंग से टटोल के देख ना "
मैंने उंगली से धीरे धीरे दोनों संतरे जैसी फांकों के बीच दबाना शुरू करते हए छेद को ढूँढना शुरू कर दिया , थोडा सा नीचे मुझे एक छेद का एहसास हुआ , मैंने उस पर जैसे ही उंगली रख कर दबाई , " आह धीरे से बुद्धू ! दर्द होता है " आयशा अपनी टांगों को चौड़ा करके बोली और उसने मेरे नेकर का बटन खोल कर मेरी सुस्सू यानी मेरे लंड को पकड़ लिया , तब मुझे एहसास हुआ कि मेरा लंड पूरी तरह से सतर था। उसने धीरे धीरे मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया मैं भी धीरे से अपनी पहली उंगली उसकी चूत में घुसा के गहराई नापने की कोशिश में लग गया।
" तू ऐसे ही मेरी चूत में उंगली कर और मै तेरे लंड को सहलाती हूँ " आयशा मेरे लंड से खेलती हुई बोली। मेरा लंड एक नार्मल अंगूठे जितना मोटा और तकरीबन तीन या साढ़े तीन इंच लंबा था।
" लेकिन चाचा तो लंड को चूत में पेलने की बात कर रहे थे " मैंने आयशा की चूत में अपनी उंगली अन्दर बाहर करते हुए पूछा
" हाँ हाँ वो तो है लेकिन मुझे उंगली करने में ही बहुत दर्द होता है तो तेरा ये लंड कैसे जाएगा , ना बाबा ना , मै तेरा ये लंड ना पिल्वाऊगी , तू बस ऐसे ही जल्दी जल्दी अपनी उंगली अन्दर बाहर करता रह" यह कह कर आयशा मेरे लंड की खाल को भी जल्दी जल्दी आगे पीछे करने लगी। मुझे पहली बार बड़ा मज़ा आ रहा था। मै जैसा उसने कहा उसी तरह से भकाभक उंगली चूत में चलाने लगा। थोड़ी देर बाद मुझे अपनी उंगली पे गरम गरम सा पानी छूटता हुआ लगा। इधर अब मेरी कमर भी उसके हाथ के साथ साथ आगे पीछे हो रही थी। अचानक मेरे लंड से भी थोडा सा गाढा गाढा कुछ निकल गया। यह महसूस करके आयशा मेरा लंड छोड़ कर मुझसे कस कर चिपट गयी।
मै तो हवा में उड़ रहा था।
" कैसा लगा रे तुझे " आयशा ने मुझसे पुछा
" तूने तो कमाल कर दिया , अच्छा एक बात बता , मुझे तो हाथों से ही बहुत मज़ा आ रहा था , क्या लंड को चूत में उंगली की तरह अन्दर बाहर करने में और मज़ा आता है ? " मैंने पूछा
" मैंने कभी करवाया नहीं , मुझे तो उंगली में ही बहुत मज़ा आता है लेकिन जब अब्बू अपना लंड अम्मी की चूत में पेलते है तो अम्मी अक्सर कहतीं है ...... ओ ह हा य पेल दो अपना पूरा लंड राजा ........ बड़ा मज़ा आ रहा है , और अब्बू भी .... हाँ हाँ मेरी जान .... ले ले पूरा का पूरा लंड ले ले अपनी चूत में ..... बहन की लौंडी तू कहे तो मै भी घुस जाऊं "
" क्या चूत में लंड को अन्दर बाहर करने को चोदना कहते है " मैंने फिर पूछा
" हाँ रे , इसी को चोदना कहते है " आयशा बोली
तभी शबनम दीदी नाराज़ होतीं हुई बोली , " रात का एक बज गया और तुम लोग अभी तक क्या यह खुसर पुसर कर रहे हो , सोते क्यों नहीं , ए मुन्ना ! तू चल उठ के इधर मेरे पास आ के लेट और तू आयशा , फ़टाफ़ट चुपचाप सो जा "
मैं जल्दी से नेकर के बटन बंद करता हुआ दीदी के पास आ कर लेट गया।
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