मुझे कहानी लिखने का बहुत शोख है में ने बहुत सारी कहानी लिखी है वे सभी काल्पनिक है इन में से एक कहानी आपके सामने पेश करता हूँ मेरा नाम यश है में अपने कमरे में लेटा अपने विचारो में खोया हुआ था की अचानक मुझे निशा (मेरी दीदी – पेशे से डॉक्टर) की आवाज सुनाई दी वो अनु (मेरी छोटी बहन) को आवाज दे रही थी घर में मेरे अलावा और कोई नहीं था इस लिए में उनके कमरे में चला गया निशा नहा कर बाथरूम से निकली थी और उसने रेड कलर का तोलिये को अपने नायब जिस्म पर बांधे अपने अनमोल खजाने को छिपाने की नाकामयाब कोशिस कर रही थी एक तो दूधिया रंग और उपर से लाल रंग का तोलिया ऐसा लग रहा था जैसे एक नहीं दो दो सूरज के गोले तोलिये के पीछे छिपे अपनी लाली बिखेर रहे हो और कह रहे हो इन्हें हाथ लगाया तो जल जाओगे, टाँगे इतनी चिकनी की अच्हे अच्हे की नियत फिसल जाए में तो फिर भी २१ साल का जवान लोंडा जिसे अभी तक अपनी जवानी के मजे देने वाली कोई नहीं मिली थी बस आखे सकने का ही काम आता था और ऐसे नजारे को तो देखने का मतलब आप खुद समाज सकते हो निशा ने पुछा अनु कहा है में अपने ख्वाबो की दुनिया से बाहर आया और हदबदाकर हकलाते हुए क क . . . कहा वो बाहर खेलने गयी है आप क्या ढूँढ रही है
अनु ने मेरा कंडीशनर पता नहीं कहा रख दिया है मै निशा को सिर्फ एक नज़र देख के बापस अपने रूम में चला गया. निशा के नंगे कंधे और नंगी टांगे देख कर मेरे अंडर कुछ हुआ था . लकिन मैं चुपचाप कमरे से बaहिर निकल गया था . पीछे से निशा ने फिर आवाज़ दी में वापिस उन के कमरे में गया ओर पुछा की क्या बात है . “तुम कब तक जाओ गे ?” वोह मेरे सामने टॉवेल में ही थी “में बस 20 मिनेट में निकलनेवाला हूँ तुम रुको मुझे भी साथ ले जाना में ओके कहकर उनके कमरे से निकल गया लेकिन निकलने से पहले उनके नायाब जिस्म को एक बार और गौर से देखा और पुरे सरीर में सनसनी फ़ैल गैयी लेकिन यह बात मुझे परेशान कर रही थी की निशा इस माय एल्डर सिस्टर, कुछ देर बाद निशा एक अच्चा सा सुइट पहन कर आ गयी और हम बीके पैर चले गए में ने निशा को हॉस्पिटल ड्राप किया लेकिन उन का वो मदमस्त जिस्म मेरे जहेन से नहीं निकल रहा था और रह रह कर पेंट में तम्बू बन रहा था
आज से एक दिन के लिए मेरी कंपनी ने मेरी एक दिन पे वीक के हिसाब से आउट डोर ड्यूटी अप्प्रोव कर दी . में ने सोचा के में हर wednesday को लेट ही काम पे जाया करूंगा अगले wednesday में फिर से लेट था. और आज निशा को मालूम था की में आज लेट जाऊँगा निशा सुबह नहा के बाहर निकली ही थी की में उनके कमरे के आगे से गुजर रहा था मुझे देख कर निशा दीदी ने आवाज दी उनकी आवाज सुन कर में उनके कमरे में गया और उस अल्हड जवानी को फीर से टावेल में देख कर मेरा जवान अंगडाई लेने लगा निशा दीदी ने मुझे कह की आज वो मेरे साथ ही हॉस्पिटल जायेगी
मैंने निशा दीदी को कहा की आप तैयार हो जाओ (और खवाबो में किसी दूसरी तरह से दीदी को तैयार करने की गुजारिस करने लगा) इतना कह कर में कमरे से बाहर निकल गया, लेकिन उनको देखने की ख्वाइस दिल में अभी भी थी में अपना सामान ले कर दीदी के रूम में वापस आया तो उस समय वह टॉवेल में बैठी बाल बना रही थी में उनके सामने कुर्सी पैर बैठ गया और उनकी अधनंगी चिकनी टांगो को देखने लगा टॉवेल तो जांघो को भी नहीं धक् पा रहा था में उन्हें बड़ी गौर से घूरने लगा बाल बनाने के बाद वह बाथरूम में गयी और चेंज करके आ गयी फिर में निशा दीदी को ड्राप करके में अपने ऑफिस चला गया, लंच टाइम में मैं एक होटल मैं खाना खा रहा था तो मैंने निशा को किसी लड़के के साथ खाना खाते देखा
मैं ने खामोशी से खाना खाया इतने में निशा दीदी उस लड़के के साथ चली गयी में भी खाना खाते खाते सपनो में जाने क्या क्या सोच गया क्या निशा दीदी इस लड़के के साथ सो चुकी है क्या उसने निशा के सेब जैसे उभारो को दबाया होगा क्या उसने निशा दीदी के साथ सब कुछ कर चूका होगा यही सोचते सोचते मैंने खाना खाया और ऑफिस चला गया इस बात को अब एक हफ्ता हो गया था अगले wednesday में खुद निशा दीदी के kamre में चला गया दीदी naha रही थी
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मेरी निशा दीदी
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में intjaar करने लगा जब दीदी bath कर बहार nikli तो मैंने pucha आपको hospital जाना है क्या दीदी ने कहा जाना तो है तो mene कहा में आपको drop कर dunga ठीक है में taiyaar हो loon दीदी ने कहा दीदी अभी भी tawel में थी में chair पैर baith कर उनकी nangi गोरी गोरी taange jaangho तक dekhne लगा और dekhne ही chota भाई जो अब था aath inch का हो चूका था salaami देने लगा दीदी मेरे saamne hichkicha yoon नहीं रही थी kyoki में suru से ही दीदी के attach था mene दीदी से baate karni suru कर दी दीदी baal bana रही थी और wo जैसे ही अपने हाथ uper ले जाती ऐसा लगता की दोनों kabootar अभी baahar aa jaayenge में uper niche होते हुए दीदी के दोनों kabutar को dekhta रहा
निशा दीदी मेरी पेंट में उबरे हुए टेंट को देखा और मेरी आँखों को उनके कबूतरों दो देखते हुए देखा लेकिन में तो जैसे सपनो में खोया हुआ था निशा दीदी ने बाल बना कर वाशरूम में जाकर कपरे बदले और मेरे साथ चल दी अगले दिन में जानबूझ कर ऑफिस लेट गया दरअसल में आज भी वही खूबसूरत नजारा देखना चाहता था में निशा दीदी के कमरे में गया तो वो अपने बाल बना रही थी मुझे देख कर वो बोली आज तुम लेट क्यों हो मैंने बहाना बनाया की अब मेरा ऑफिस टाइम बदल गया है अब में रोज आपको हॉस्पिटल छोड़ दूंगा और में ऑफिस में पहले ही फ़ोन करके अपने बीमार होने का बहाना बना चूका था और कहा चूका था की कुछ दिन में लेट आया करूंगा
और में दीदी के सामने बैठ गया दीदी ने कहा चलो अछा है मुझे भी आज कल बस में जाने में बड़ी तकलीफ होती है बस में बहुत भीड़ होती है में समझ गया दीदी को बस की भीड़ में क्या तकलीफ होती है बस में चदते ही पीछे वाले का चुतद पे हाथ फेरना और सोरी बोलना आगे वाले का बस के सीट पकड़ने के बहाने गोल गोल अनारो को मसलना पीछे से निकलने वाली सवारी का गांड के साथ खुद को रगड़ना में यही सोच रहा था की निशा दीदी ने कहा चलो में भोचक्का सा उनको देखता रहा कब वो वाश रूम में जा कर तैयार हो आई में उर्नकी तरफ देखता रहा गया दीदी ने फिर बोला कहा हो मेरे मुँह से निकल गया भीड़ वाली बस में दीदी ने कहा क्या में हकीकत में आया और दीदी को बोला कुछ नहीं चलो और में निशा दीदी से नजरे चुराने लगा दीदी भी सायद समझ गयी थी की में क्या सोच रहा था और ऐसा समझते ही दीदी के दूधीया गालो पैर हाला केसर का सा रंग चढ़ गया मेने भी दीदी से कहा कुछ नहीं दीदी में कह रहा था दी में आपको रोज हॉस्पिटल छोड़ दिया करूंगा अब चलो
फिर तो जैसे मेरा यही रूटीन बन गया अगले दिन भी में दीदी के रूम में गया तो आज वो baatroom से बाहर निकली ही थी मुझे देखते ही वह बोली आओ बैठो मुझे अभी १५-२० मिनुट और लगेंगे मैंने कहा कोई बात नहीं और उनके सामने चेयर दाल कर बेथ गया आज वह हल्के आसमानी रंग के टावेल में एक अप्सरा से कम नहीं लग रही थी निशा दीदी बाल बनाने लगी और में उनके नायब कश्मीरी सबो को उपर निचे होते हुए देखने लगा मन कर रहा था की अभी इनको तोड़ के इनका सारा रस पि जाऊ निशा दीदी ने भी सायद मेरी नजरो को पहचान लिया था लेकिन मुझे पता नहीं लगने दिया अब तो कुछ कर gujarne की इच्छा मेरे दिल में बलवंत होती जा रही थी मेरी साँसे तेज चल रही थी और आंखो में लाल डोरे तैर आये थे निशा दीदी ने मुझे पुचा क्या बात है तेरी तबियत तो ठीक है ना मेंने कहा हां दीदी आप जल्दी तियार हो जाओ में अभी आता हूँ में जल्दी से उठ कर वाशरूम में गया और अपनी पेंट में से अपने हतियार को बाहर निलकल और हिलाने लगा सामने ही दीदी के निकले हुए अंडर गारमेंट्स पड़े थे
अब यारो में तो कुछ बोलूँगा नहीं पर आप लोग ही बताओ के एक अल्हड मस्त जवानी अभी अभी इस बाथ रूम से बाहर निकली हो तो उसके मदमस्त jism की क्या mahak aa रही होगी मेरी तो haalat ऐसी हो रही थी जैसे में एक waasna के saagar में तैर रहा हूँ या अभी अभी kaamdev ने काम vaan maara हो और इस kaamvan के lagte ही मेरी jindgi का pahla skhalan हो गया ऐसे लगा जैसे में अपने pairo पे नहीं khada रह paaonga जैसे अभी gir jaaonga मेरी ssanse ऐसे चल रही थी जैसे की दुनिया में kewal एक ही ladki bachi हो और में बिना ruke dodte हुए उसके पास जाना chahata हूँ. उसे paana चाहता हूँ उसे haasil करना चाहता हूँ
और मेरे मुह से जोर से निकला आह दीदी जो सायद बहार दीदी ने सुन लिया और उन्होंने आवाज मारी क्या हुआ मैंने कहा कुछ नहीं दीदी और हदबदाकर अपने लिंग को पेंट में वापस किया और इस दोरान मेरी पेंट भी आगे से कुछ गीली हो गयी में बाहर आया तो दीदी मुझे गौर से देख रही थी में घबरा गया और उन्होंने मेरी पेंट के गीले हिस्से को भी देखा और मंद मंद मुस्कुराने लगी मैंने सँभालते हुए कहा की आप तैयार है क्या वो बोली सिर्फ पाच मिनेट तुम बाहर निकलोगे तभी तो में कपडे पहनूंगी और वो बाथरूम में घुस गयी उसके जाते ही मुझे याद आया मैंने अपने वीर्य को तो साफ़ ही नहीं किया था अब क्या होगा वह तो ऐसे ही दिवार पे और जमींन पे गिरा हुआ था में भगवान् से प्राथना करने लगा की हे भगवान् वो दीदी को दिखाई न दे इतने में दीदी कपडे पहन के बाहर आई और मुझे गुस्से से बोली क्या बात है तुम्हारी तबियत खराब है क्या तुमने सारे में कफ गेरा हुआ है और मंद मंद मुस्कुराने लगी मैंने सोचा दीदी सायद सोच रही है की मुझे खासी आई होगी में भी उनकी बात को आगे बढाते हुए कहा दीदी हा अचानक खासी आ गयी थी दीदी ने कहा तो तुम्हे वो निकलने के लिए कोई जगह नहीं दिखी क्या में दीदी की इस बात पे ध्यान दिए बिना (वो निकलने के लिए ) कहा नहीं दीदी, दीदी ने फिर कहा लगता है तुम्हारा वो निकलने के लिए कुछ न कुछ इंतजाम करना पड़ेगा और दीदी मुस्कुराने लगी इस बार मुझे अहसास हुआ दीदी क्या बोल रही है मैंने कहा चलो चलते है और में उन्हें लेके हॉस्पिटल छोड़ आया
मुझे निशा दीदी को तोवेल में देखते हुए काफी समय हो गया था और निशा दीदी ने भी नोटिस किया था की में रोज रोज उनके कमरे में किसलिए पहुच जाता हूँ और में उनके जिस्म को घूरता हूँ लेकिन निशा दीदी ने मुझे कभी कुछ नहीं कहा और ना ही उन्होंने अपना रूटीन चेंज किया वो नहा के निकलती तो में उनकी नंगी टांगो को घूरने लगता कभी कभी दीदी इतना नजदीक आके खड़ी होती की उनके बदन की महक मेरे पुरे जिस्म को बेकाबू कर देती लेकिन कभी इस से जयादा कुछ करने की हीम्मत मुझ में नहीं हुई एक दिन निशा दीदी मेरे पास बैठी अपने बाल बना रही थी मैंने दीदी का हाथ पकड़ लिया दीदी ने मेरे तरफ गौर से देखा और पूछ की क्या बात है मुझे कुछ समझ में नहीं आया की क्या कहूं
अचानक मेरे मुँह से निकल गया की दीदी में आपको लंच पे ले के जाना चाहता हूँ दीदी बोली नहीं नहीं लंच नहीं डिनर पर चलते है अनु भी साथ चल लेगी नहीं दीदी सिर्फ आप और में और कोई नहीं दीदी अभी भी टावेल में थी और अभी भी मैंने उनका हाथ अपने हाथ में पकडा हुआ था क्यों अनु को साथ ले चलने पे क्या हो जाएगा दीदी ने पुछा दीदी में अनु को फिर कभी ले जाऊँगा प्लीज क्या में अकेला आप के साथ नहीं जा सकता मैंने दीदी के हाथ को दबाते हुए पुछा, हम लोग देर हो रहे है मुझे तैयार होने दो, तो फिर में आपको ठीक १.०० पि ऍम पर लेने आ जाऊँगा दीदी खड़ी हुई और बोली ओके बाबा अब मेरा हाथ छोडो दीदी वाश रूम में गयी और कपडे पहन के आ गयी मैंने दीदी को हॉस्पिटल छोडा और सीधा अपने ऑफिस चला गया लंच टाइम में में दीदी को लेने हॉस्पिटल पहुच गया
दीदी मेरा ही इंतजार कर रही थी दीदी जब मोटर साईकिल पैर बैठी तो उन्होंने अपना हाथ मेरे कंधे पैर रखा मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपनी जांघ पे रख लिया इस तरह दीदी थोडा और आगे आ गयी और उनके सेब जैसे ठोस बूब्स मेरी पीठ पैर गडगए दीदी ने पुछा आज क्या बात है तुम कुछ बदले बदले लग रहे हो मैंने कहा कुछ भी तो नहीं दीदी वैसे ही आप पर प्यार आ रहा है (चोर की दाढ़ी में तिनका ) हम लोग होटल पहुचे और खाना आर्डर किया खाना खाते समय मैंने अपने हाथ में खाना लेकर दीदी के मुह की और बढाया दीदी ने मुस्कुराते हुए खाया और बोली क्या बात है आज अपनी दीदी पैर बड़ा प्यार आ रहा है में केवल मुस्कुराया और आगे बात करने की हिम्मत मुझ में नहीं हुई हमने खाना खाया और वापस दीदी को हॉस्पिटल छोड़ दिया
अगले दिन जब दीदी नहा कर बाहर निकली तो आज उन्होंने मेरा लाया हुआ टावेल लपेटा हुआ था जो की सिर्फ दीदी की गांड को ही ढके हुए था और उपर से अगर दीदी जरा सी भी लापरवाही करती तो सेब के साथ साथ छोटा सा अंगूर का दाना भी दिख जाता मैंने दीदी का हाथ पकडा और अपने पास बिठाते हुए कहा दीदी आज आप बहुत सुंदर लग रही हो और रह रह कर मेरी नजरे दीदी के गोल गोल मुम्मो पैर पहुच जाती दीदी बोली यश क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है इस तरह के सीधे सवाल से में सकपका गया और अपनी नजर नीची कर ली दीदी मेरे सामने खड़ी हुई उनका हाथ अभी भी मेरे हाथ में था दीदी बोली बोल ना शर्मा क्यों रहा है मैंने जैसे ही बोलने के लिए अपना मुह उपर किया उनकी चिकनी जांघे मेरे एकदम सामने थे और टावेल सामने से बंधा होने की वजह से नीचे से थोडा खुला हुआ था उस खुले हिस्से को मैंने गोर से देखा तो
हल्का हल्का कुछ गहरा काले रंग का दिख रहा था सायद बाल थे तो क्या दीदी ने चड्डी नहीं पहने हुई थी इतना सोचते ही मेरा चेहरा तपने लगा जैसे किसी आग की भट्टी के सामने खडा हूँ दीदी ने मेरी नजरो की और देखा और अपने टावेल को ढीक करते हुए बोली ठीक है रहने दे में तो तेरी कुछ लगती थोड़े ही हु जो तू मुझे बतायेगा और वाशरूम में कपडे पहनने चली गयी उनके जाने के बाद मेरी थोडी हिम्मत हुई और कहा दीदी ऐसे क्यों बोलती हो आप के सिवाय तो मेरा कोई भी नहीं है ना दोस्त और ना गर्ल, गर्ल बोलते ही मैं रुक गया दीदी बोली क्या तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है मैंने कहा पहले थी कॉलेज में लेकिन अब उसकी शादी हो चुकी है
दीदी तैयार होकर बाहर निकली आज वो बाला की खूबसूरत लग रही थी मानो जैसे आज मेरे लिए ही सजी हो निशा दीदी बाहर आ कर बोली यश क्या तुम ऑफिस से आते समय मुझे हॉस्पिटल से ले लोगे मुझे बाज़ार से कुछ सामान खरीदना है मैंने कहा नो प्रॉब्लम दीदी बन्दा आपकी सेवा में हाजिर हो जाएगा और मैंने दीदी को हॉस्पिटल छोड़ दिया. शाम को दीदी ने घर का जरूरी सामान ख़रीदा और बाईक पैर बैठ कर बोली चलो थोडी दूर जाकर दीदी ने कहा एक बार रोको मैंने बाईक एक दूकान के आगे रोक दी दीदी कुछ असमंजस में थी फिर बोली रहने दो कोई नहीं चलो गोल गप्पे खाते है मैंने दूकान की और देखा वह एक लोंजरी शॉप थी और मुझे सुबह वाली बात याद आ गयी दीदी के घुंगराले बालो का दर्शन और मेरा लोडा अंगडाई लेने लगा सायद दीदी को चड्डी लेनी थी लेकिन वो मेरी झिझक के मारे ले नहीं पायी मैंने बाईक ले जाकर एक गोलगप्पे वाले की दूकान के आगे रोक दी वह काफी भीड़ थी दीदी बोली चलो थोडी देर टहलते है इतने में भीड़ भी छट जायेगी और हम पास में ही टहलने लगे इसी बीच दीदी ने फिर से वही गर्लफ्रेंड वाली बात छेड़ दी दीदी बोली अच्छा एक बात बताओ तुम्हारी गर्लफ्रेंड तुम्हारे साथ कितनी घुली मीली हुई थी मैंने कहा दीदी हम बहुत देर आपस में बात करते थे और एक दुसरे से कुछ भी बात नहीं छुपाते थे इस पर दीदी बोली बुद्धू मेरा मतलब है की क्या तुमने उसके साथ कुछ किया था
में दीदी की बात को समझ तो गया था की को पूछना चाह रही है की मैंने उसकी चुदाई की थी की नहीं लेकिन में अनजान बनते हुए कहा दीदी हम तो रोज़ साथ में ही होमवर्क किया करते थे और दीदी यह सुनते ही जोर जोर से हसने लगी इस समय हस्ते हुए वह ऐसे लग रही थी जैसे मानो स्वर्ग से कोई अप्सरा आई हो खुसी से उनकी आँखे चमक उठी और चेहरा फूल सा खिल गया मैं कुछ देर उन्हें देखता रहा फिर बोला दीदी आप हस क्यों रही हो दीदी बोली भैया तुम बहुत भोले हो मैं मन ही मन सोचा की दीदी एक बार निचे आ जाओ फिर बताता हूँ मैं कितना भोला हूँ, पूरी रात अगर रगड़ रगड़ के नहीं चोदा तो मेरा नाम भी यश नहीं और जो तुम रोज अपनी गांड छोटे से तोलिये में मुझे दिखाती फिरती हो उसको तो अब भगवन भी मेरे लोडे से नहीं बचा सकता में सोच रहा था की सायद दीदी भी वही चाह रही है जो में दीदी से चाहता हूँ लेकिन नारी को तो अछे अछे ऋषि भी नहीं समझ पाए में तो कुछ भी नहीं था इस बात का पता तो मुझे बाद में चला की दीदी बार बार मुझे अपनी गर्ल फ्रेंड के बारे में क्यों पूछ रही थी और मैं समझ रहा था की मेरा चांस लगने वाला है
दीदी और मैंने गोलगप्पे खाए और फिर घर आ गए दीदी को घर पैर छोड़ कर में वापस बाज़ार गया और उनके लिए सुंदर से पारदर्शी चड्डी और ब्रा खरीद कर घर वापस लाया अब आप लोग सोचोगे की मेरी दीदी का साइज़ मुझे कैसे पता लगा तो भाई लोगो जिस दिन में बाथरूम में घुसा था और पहली बार दीदी के ब्रा और पेंटी को देख कर झडा था तभी मैं उनका साइज़ देख लिया था वो साइज़ क्या है वो में आप लोगो को बता तो दु लेकिन फिर कुछ को अच्हा लगेगा और कुछ को बड़ा या छोटा तो आप लोगो को जो अच्छा लगे वो ही साइज़ मान लो इस से सब की फंतासी बनी रहेगी अगले दी जब दीदी बाथरूम में थी तो मैंने वह ब्रा और पेंटी दीदी के रूम में रखने गया और जैसे ही रखने लगा बाथरूम के दरवाजे के खुलने की आवाज हुई और में जल्दी से बाहर की और भागा पर हाय रे मेरी किस्मत बाहर निकलते ही साइड में एक टेबल रक्खी थी और उसमे एक कील निकली हुई थी जो सीधे मेरे लोड़े से करीब छ इंच नीचे मेरी जांघ में घूस गयी और जल्दी में में जब आगे हुआ तो मेरी जांघ को चीरती हुई निकल गई और अचानक से खून निकलने लगा में भागता हुआ अपने रूम में पंहुचा और एक कपडे से खून को बहने से रोकने लगा.
इधर दीदी जब बाहर निकली तो मेरे द्वारा लाये हुए अंडर गारमेंट्स को देखा और फनफनाती हुई मेरे रूम में पहुची में उन्हें देखते ही डर गया वो इस समय ऐसे लग रही थी जैसे की मुझे आँखों से ही भस्म कर देगी लेकिन जैसे ही उन्होंने मेरी जांघ को खून से लटपट देखा तो उनका सारा गुस्सा काफूर हो गया और दौड़ती हुए मेरे पास औई और बोली हे राम ये क्या हुआ में कुछ नहीं बोला वो जल्दी से भागती हुई ड्रेसिंग का सामान लेती हुई आई खून तो जैसे रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था वो बोली जल्दी से अपना पजामा उतारो में नॉर्मली घर में कुरता पजामा पहनता हूँ दीदी ने फिर से मेरा पजामा उतरने के लिए बोला तो में बोला नहीं पहले आप मुझे माफ़ कर दो दीदी को फिर चड्डी ब्रा वाली बात याद आ गयी और उनका चेहरा फिर से गुस्से में लाल हो गया और बोली चुपचाप अपना पजामा उतारो में बोला नहीं पहले आप मुझे माफ़ कर दो दीदी बोली खून बहुत निकल रहा है मुझे ड्रेसिंग करने दो में बोला क्या होगा ज्यादा से ज्यादा मर ही तो जाऊँगा वो तो में वैसे भी अगर
आप मुझ से बात नहीं करोगी तो में मर जाऊँगा यह बात सुनकर दीदी की आँखे भर आई और मुझे उनकी आँखों में एक साथ प्यार और अपनापन नजर आ रहा था फिर दीदी बोली मेरे भाई में तुझ से नाराज नहीं हूँ अब तो पट्टी बंध्वाले लेकिन में अभी भी अपना पजामा उतारने को तैयार नहीं हुआ तो दीदी बोली भैया तेरी कसम में तुझ से नाराज नहीं हूँ पट्टी बंध्वाले खून बहुत निकल रहा है लेकिन में दीदी को यह बताने में शर्मा रहा था की मैंने पजामे के निचे चड्डी नहीं पहनी हुई है मेरी और से कोई प्रतिक्रिया न होता देख दीदी ने मुझे धक्का दिया और बेड पर लिटा दिया और मेरे पजामे को खोलने लगी में बोला दीदी प्लीज उपर से ही बाँध दो तो वो बोली पागल बिना जख्म देखे कैसे पट्टी बंद दूं और दीदी पजामे का नाडा खोलने लगी में बोला दीदी मैंने चड्डी नहीं पहनी हुई है दीदी एकबार तो रुकी फिर बोली क्यों नहीं पहनी है तो में बोला में चड्डी नहीं पहनता हूँ और ऐसे बोलते ही मेरे लैंड में तनाव आने लगा दीदी बोली ठीक है तू कुरता नीचे कर लेना और मेरा नाडा खोलने लगी और पजामे को खीच कर निचे कर दिया निचे करते ही मेरे मुह से जोर की चीख निकली जखम बहुत गहरा था और मॉस बहार आ रहा था दीदी जो की डॉक्टर थी एक बार तो वो भी देख कर हिल गयी फिर हिम्मत करके मेरी ड्रेसिंग करने लगी मेरी अंको के आगे अँधेरा सा छाने लगा था पता नहीं दर्द के मारे था या खून ज्यादा निकल जाने के कारण :
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